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आँख आना (नेत्रश्लेष्मलाशोथ या कंजक्टिवाइटिस) के बारे में 10 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

आँख आना (नेत्रश्लेष्मलाशोथ या कंजक्टिवाइटिस) के बारे में 10 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

कंजक्टिवाइटिस शब्द सुनने पर हमें स्कूल के दिनों में लाल, पानी वाली आँखों की छवि ध्यान में आती है और इससे जुड़े कई कल्पित बातें भी ध्यान में आती हैं जैसे कि अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को घूरते हैं जिसकी आँख गुलाबी है तो आपको भी कंजक्टिवाइटिस हो सकता है। सही जानकारी द्वारा आप अपने और अपने बच्चों में इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार हो सकते हैं। 

 

कंजक्टिवाइटिस के बारे में आपको क्या जानने की ज़रूरत है?

क्या आप गुलाबी आँख आना की समस्या से पीड़ित हैं? तो नीचे दिये गये प्रश्न कभी ना कभी आपके ज़हन में तो आये होंगे, आइए इनके बारे में विस्तृत जानकारी लेते है?

 

प्रश्न 1: कंजक्टिवाइटिस क्या होता है?

इसे 'पिंक आई' या 'सोर आइज़' भी कहते है, इस स्थिति में कंजंक्टिवा में सूजन जाती है। कंजंक्टिवा एक पतला ऊतक होता है जो आपके नेत्रगोलक (eye ball) और पलक के अंदरूनी हिस्से को ढकता है। इसमें एलर्जी, इरिटेंट, या संक्रमण के कारण सूजन सकती है, जिसके कारण इसकी छोटी लाल रक्त वाहिकाएं इसे गुलाबी या लाल रंग का दिखाई देती हैं। 

 

प्रश्न 2: आपको किन लक्षणों पर नज़र रखनी चाहिए?

वायरल कंजक्टिवाइटिस अधिकतर एक आँख को प्रभावित करता है और इसमें व्यक्ति की आँखों से पानी या एक हल्का डिस्चार्ज होता है। वहीं बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस में, दोनों आंखें समान रूप से प्रभावित होती हैं और आँखों से निकलने वाला डिस्चार्ज गाढ़ा और हरा-पीला रंग का होता है। यदि आँखों में लाली एलर्जी के कारण होती है, तो आपको खुजली और लाली महसूस होगी। ऊपर दिये सभी सभी मामलों में, आप प्रकाश के प्रति संवेदना महसूस कर सकते हैं या आपको थोड़ा धुंधला नज़र सकता है।

 

प्रश्न 3: आपको कंजक्टिवाइटिस कैसे हो सकता है?

एक एलर्जिक रिएक्शन की तरह, कंजक्टिवाइटिस भी पराग, धूल, प्रदूषण या कुछ प्रकार की आँखों में डाली जाने वाली दवाई या कांटैक्ट लैंस के कारण हो सकता है। कंजक्टिवाइटिस आपके आसपास मौजूद वातावरण में वायरल या बैक्टीरियल गतिविधि में वृद्धि के कारण हो सकता है, जो मानसून जैसे मौसम के दौरान बढ़ना एक आम घटना है। दोनों कारक बहुत ही संक्रामक हैं और संक्रमित व्यक्ति के आंखों के स्राव के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क से पीड़ित से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं। 

  • वायरल कंजक्टिवाइटिस: यह वायरस संक्रमण से होता है। इस प्रकार की गुलाबी आंख बहुत संक्रामक होती है, लेकिन आमतौर पर यह अपने आप कुछ दिनों में बिना किसी चिकित्सा उपचार के सही हो जाती हैं।
  • एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस: कुछ अतिसंवेदनशील व्यक्तियों में पराग, धूल और जानवरों के डैन्डर जैसे एलर्जन से कंजक्टिवाइटिस हो सकता है। यह मौसमी (परागकणों के कारण) हो सकता है या साल भर तक उपस्थित हो सकता है (धूल या पालतू जानवरों की रूसी)
  • बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस: इसका मुख्य कारक बैक्टीरियल संक्रमण होता है, और अगर बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस का सही समय पर उपचार ना किया जाये तो इससे आँखों को गंभीर क्षति हो सकती है।

 

कई बार कंजक्टिवाइटिस केमिकल इरिटेंट और एसटीडी जैसे दाद, क्लैमाइडिया और गोनोरिया के कारण भी हो सकता है।

 

प्रश्न 4: कंजक्टिवाइटिस किसे हो सकता है?

किसी भी व्यक्ति को कंजक्टिवाइटिस हो सकता है, लेकिन बच्चे इसके प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, क्योंकि स्कूल में, वे कई अन्य लोगों के संपर्क में ज़्यादा आते हैं।

 

प्रश्न 5: कंजक्टिवाइटिस कितने दिनों तक रहता है?

ज़्यादातर यह 4 से 15 दिनों के बीच में ठीक हो जाता है, पर यह अवधि मुख्यतः वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण की तीव्रता और आप कितनी जल्दी उपचार शुरू करते हैं, इस पर निर्भर करती है।

 

प्रश्न 6: क्या मुझे डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए?

हाँ, हालाँकि यह स्थिति गंभीर नहीं होती, लेकिन चिकित्सीय परामर्श करना आवश्यक होता है क्योंकि आँखों में सूजन किसी अन्य कारण से भी हो सकती है। यदि आपके नवजात शिशु में गुलाबी आंख है या यदि आपका संक्रमण 3 सप्ताह से अधिक तक उपस्थित है तो इन स्थितियों में आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

 

प्रश्न 7: कंजक्टिवाइटिस का क्या उपचार है?

आपका डॉक्टर लक्षणों के आधार पर उपचार निर्धारित करेगा। आमतौर पर वायरल संक्रमण अपने आप कुछ दिनों में ठीक हो जाता है जबकि बैक्टीरियल संक्रमण के लिए डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स  के उपयोग के लिए सलाह देंगे।

 

प्रश्न 8: असुविधा को कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?

घर पर रहकर खूब आराम करें, ताकि आप जल्दी से ठीक हो सके। इसके साथ-साथ निम्न बातों का ध्यान रखें:

  • अपने हाथों को बार-बार साबुन से साफ़ करें। 
  • अपनी आँखों को दिन में कई बार साफ़ पानी से धोएँ, खासकर अगर आँखों से कोई डिस्चार्ज हो रहा हो। 
  • अपनी संक्रमित आंख को रगड़ें। यदि आँखों में खुजली हो रही हैं, तो आराम प्राप्त करने के लिए गर्म या ठंडी सिकाई करें।
  • अपने चद्दर, तौलिये और कपड़ों को दूसरों से अलग रखें।
  • आंखों का मेकअप किसी के साथ शेयर करें।
  • इस दौरान कॉन्टेक्ट लेंस पहनने से बचे। 
  • मूवी, वीडियो गेम आदि द्वारा अपनी आंखों पर जोर डालने से बचें।
  • उपयोग के बाद सभी उपकरणों को साफ़ कर लें, जिसमें रिमोट, फोन, रसोई के उपकरण आदि शामिल हैं।
  • आपका डॉक्टर आपको जलन और असुविधा में अस्थायी राहत के लिए लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप या कृत्रिम आंसू दे सकता है
  • अपनी आंख पर पैच लगाएं, क्योंकि इससे संक्रमण और बिगड़ सकता है।
  • स्वीमिंग पूल में जाने से बचे।

 

प्रश्न 9: क्या यह सच है कि एक बार कंजक्टिवाइटिस हो जाने के बाद, आप इसके प्रति इम्यून हो जाते हैं?

नहीं, ऐसा नहीं है कि एक बार कंजक्टिवाइटिस होने के बाद यह भविष्य में ना हो। संक्रामक कंजक्टिवाइटिस पैदा करने वाले बैक्टीरिया और वायरस कभी भी हमला कर सकते हैं और यह आपको दुबारा हो सकता है। इसलिए इससे बचाव के लिए अच्छी स्वच्छता सुनिश्चित करें और एलर्जी वाले मौसम में एलर्जी के अवांछित संपर्क में आने से बचें।

 

प्रश्न 10: क्या सभी प्रकार के कंजक्टिवाइटिस के लिए एक ही उपाय है?

नहीं, और आपका डॉक्टर भी आपको यही बताएगा। आँखों में गुलाबीपन एक लक्षण है। यदि यह एक एलर्जी है, तो डॉक्टर आपको एंटीहिस्टामाइन लेने की सलाह देंगे। यदि यह एक बैक्टीरियल संक्रमण के कारण है तो एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता होगी (ध्यान दें कि यदि आपको वायरल कंजक्टिवाइटिस है तो एंटीबायोटिक दवाओं से कोई फायदा नहीं होगा) यदि कंजक्टिवाइटिस हरपीज जैसे एसटीडी की वजह से है तो एक पूरी तरह से अलग उपचार नीति की ज़रूरत होगी।

Medanta Medical Team
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