जोड़ों का दर्द: जोड़ों के दर्द के कारण और उपचार
सर्दी का मौसम आने वाला है, और आपने शायद आपने ऊनी स्वेटर और मफलर पहनने के लिए निकाल लिए होंगे। यह मौसम ठंड के साथ-साथ जोड़ों में दर्द का डर भी लेकर आता है। लंबे समय से यह धारणा बनी हुई है कि ठंडा मौसम जोड़ों के दर्द का कारण होता है, लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है?
कितने ही व्यक्ति चाहे उन्हें दर्द ना हो लेकिन जोड़ों के दर्द के लिए ठंडे मौसम को ही दोषी मानते हैं। हालांकि, विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, इसका मुख्य कारण बारोमेट्रिक या वायुमंडलीय दबाव में परिवर्तन होता है। जब सर्दियों में वायुमंडलीय दबाव कम होता है, तो इससे जोड़ों में सूजन आ सकती है। यह सूजन आमतौर पर इसलिए होती है क्योंकि मांसपेशियों के खिलाफ हवा का दबाव कम होता है, जिससे ऊतकों में फैलाव आ जाता है, जो जोड़ों पर दबाव डालता है, जिसके फलस्वरूप दर्द और सीमित गतिशीलता हो सकती है।
वायुमंडलीय दबाव के अलावा, कई अन्य स्थितियाँ भी जोड़ों के दर्द का कारण हो सकती हैं। इन स्थितियों में आर्थराइटिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस (जोड़ों की हड्डी के ऊतकों का घिसना), रुमेटॉइड आर्थराइटिस (जोड़ों में सूजन), और मोच शामिल हैं।
क्या जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है?
जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न तरीके होते हैं। कुछ लोग उपचार के लिए चिकित्सक या रुमेटोलॉजिस्ट का सहारा लेते हैं, जबकि कुछ लोग अन्य घरेलू उपचारों को प्राथमिकता देते हैं जिसमें माइंड-बॉडी एक्सरसाइज (ताई ची नामक प्राचीन चीनी तकनीक), गर्मी-ठंडक चिकित्सा जहां आप दर्द वाले जोड़ों पर एक ठंडा पैक एक गर्म पैड के चारों ओर लपेटते हैं, हर्बल लेप ख़ासकर अदरक के एक्सट्रैक्ट का इस्तेमाल करना शामिल हैं।
जब आपको जोड़ों में दर्द की समस्या होती है, तो इसके कारण व्यायाम करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए, एक आर्थोपेडिक चिकित्सक आपको शरीर में अकड़न कम करने और वजन घटाने के लिए कुछ लो-इंपैक्ट व्यायाम करने की सलाह देंगे। अधिक बॉडी मास इंडेक्स वाले व्यक्तियों में आमतौर पर शरीर के अधिक वजन के दबाव के कारण जोड़ों की समस्या होने की संभावना ज़्यादा होती हैं।
खनिज सप्लीमेंट के साथ-साथ डॉक्टर आपसे स्वस्थ खाने की सलाह भी देंगे। ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त खाद्य पदार्थ जैसे साल्मन, मैकरेल, सार्डीन्स, सोयाबीन, कैनोला तेल या अलसी का बीज जोड़ों के दर्द के कारण होने वाली सूजन को रोकने में मदद कर सकते हैं। विटामिन K से युक्त खाद्य पदार्थ (हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली, मांस, अंडे) जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। विटामिन C युक्त खाद्य पदार्थ जैसे सिट्रस फल, टमाटर और अमरूद कोहनी, घुटनों और टखनों में हड्डियों को जोड़ने वाले कनेक्टिव ऊतक के हानि को रोकने में मदद कर सकते हैं।
रिफाइंड गेहूं (मैदा) विशेष रूप से इंफ्लेमेटरी प्रभाव डालते हैं। इसलिए, इनके सेवन ना करना आपके स्वास्थ्य के लिए हितकारी होगा। ध्यान तकनीकें भी शरीर में संकुचन के साथ आने वाले जोड़ों के दर्द का सामना करने में सहायता करती हैं।
क्या जोड़ों के दर्द से बचा जा सकता है?
बढ़ते उम्र के अनेक दर्द में से एक गतिशीलता की कमी होना है। ऐसा माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ जोड़ों के दर्द में भी वृद्धि होती है। अपने जोड़ों को स्वस्थ रखने के अलावा जोड़ों की समस्याओं को रोकने के क्या तरीक़े हो सकते हैं?
अपने आप को सक्रिय रखना जोड़ों में अकड़न और अन्य समस्याओं को रोकने के लिए सर्वप्रथम नियम है। मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में बिल्ड करने से जोड़ों को स्वस्थ बनाए रखने में बहुत मदद मिल सकती है। अगर घर के बाहर व्यायाम करने के लिए मौसम अत्यधिक ठंडा महसूस होता है, तो आप घर के अंदर व्यायाम करने के तरीके ढूंढ़ सकते हैं। स्क्वाट्स, पुश-अप्स और स्टेप-अप्स आपको सक्रिय रख सकते हैं और इसी दौरान आपके जोड़ों को पर्याप्त लुब्रिकेट बनाए रख सकते हैं। अपने फिटनेस लक्ष्यों के अनुसार व्यायाम के सुझाव के लिए आप अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
महिलाओं के लिए, स्टिलेटो हील आपके पैरों और घुटनों पर तनाव डाल सकते हैं, जो अंततः ऑस्टियोआर्थराइटिस की ओर जाने की वजह बन सकते हैं। अगर आप कंप्यूटर स्क्रीन के सामने लंबे समय तक काम करते हैं तो समय-समय पर अपने गर्दन को आराम देने के अलग-अलग तरीके ढूंढ़ें। स्क्रीन को आँखों के स्तर पर रखने और गर्दन के व्यायाम करने से इसमें बहुत मदद मिल सकती है।
अगर आप बहुत लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो हर 30 मिनट के बाद थोड़ी देर के लिए बीच में खड़े होकर थोड़ा चल लें। अगर आप बहुत लंबे समय तक खड़े रहते हैं, तो इससे उलटी विधि का प्रयास करें। अपने कलाइयों का व्यायाम करें और भारी वस्तुओं को उठाते समय अपने कलाई की मांसपेशियों पर अधिक बोझ न डालें। भारी वस्तुओं को उठाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप उन्हें अपने शरीर के पास ही पकड़ते हैं ताकि भार समान रूप से वितरित हो सके और जोड़ों पर कम बोझ पड़े। उम्र बढ़ने के साथ अपने फिटनेस लक्ष्यों को सुधारना एक अच्छी आदत होती है।